Thursday, April 25, 2013

मुसलमान को मुसलमान ही रहने दीजिए


मुसलमान! मुसलमान! मुसलमान! सुन सुन कर भेजा पक गया है कोई भी कभी भी कुछ भी बकने लगता है। आखिर मुसलमान दर्शाना क्या चाहते है। वे क्यों हर जगह मुसलमान होने के फायदे ढूंढने लगते हैं। वे क्यों इस मुसलमान शब्द को घृणित बनाना चाहते हैं। वे क्यों तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। सिर्फ कुछ दूषित लोगों की वजह से पूरी कौम बदनाम हो रही है। वे कुछ लोग समाज में नफरत पैदा कर रहे हैं। वे खुद तो मौज कर रहे हैं और समाज में जहर घोल रहे हैं। क्यों वे खुद के गुनाहों पर सफेद चादर ओढ़ कर दूसरों को बेनकाब कर रहे हैं।
क्या वे भारत के अंदर एक नया पाकिस्तान गढ़ रहे है। आखिर उन्हे ऐसा करने से क्या फायदा मिलेगा। कोई भड़काउ भाषण दे रहा तो कोई मोदी की टांग खींच रहा । अरे भई, आपको मोदी नही पसंद है आप वोट मत दीजिए। लोगों को अपना फैसला खुद करने दीजिए। आप क्यों लोगों को मैनिपुलेट कर रहे हैं। अगर आपको इतना ही सच उजागर करने का शौक है तो आप खुद को भी पहले बेनकाब कीजिए।
आप क्यों लोगों के जेहन में मुसलमान नामक शब्द से नफरत पैदा करना चाहते हैं। क्यांे पूरी दुनिया मुसलमानों के नाम से खौफ खाती है। क्यों आप मुसलमानों को आतंक का पर्याय साबित करने पर तुले हुए हैं। आप को अमरीका में क्यों शक भरी निगाहों से देखा जाता है। आप खुद को क्यों दुनिया की सबसे निर्मम कौम का खिताब दिलाना चाहते हैं। क्यों दुनिया के 90 फीसदी आतंकवादी संगठनो से आपका ताल्लुक पाया जाता है। जेहाद के नाम पर आप इंसानियत क्यों भूल जाते हैं। आखिर क्या वजह है इसकी।
क्यों आप सभी को अपना दुश्मन मानते हैं। क्यो दुनिया में आपका कोई दोस्त नही है। ऐसी क्या कमी है आप में। क्यो आपके दिमाग में शैतानी चालें चलती रहती हैं। क्यों आपने पूरे विश्व में आतंक फैलाने का जिम्मा ले रखा है। आखिर आतंक की उपज कहां से हुई। क्यों आप को मार काट में मजा आता है। यह प्रथा एक पल की नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है। क्यों मुस्लिम शासक भारत को लूट ले गए थे। क्यों उन्होने खुशहाल हिंदुस्तान में आतंक मचाया थे। क्यों उन्होने भारतीयों पर बर्बरता और क्ररता दिखाई थे। क्यों वे छल और कपट से भारतीय राजाओं से उनके राज्य छीन लेते थे। क्यों वे लोगों से जबरन धर्म परिवर्तन कराते थे।
आज भी क्यों आपको दुनिया में सबसे कट्टर माना जाता है। आप के लिए जान देना और जान लेना बच्चों का खेल है। जरा जरा सी बात पर आप क्यों उत्तेजित हो जाते हैं। क्यो आपके त्योहारों में हिंसा भड़कती है। और क्यों आप दूसरों के चैन ओ सुकून पर खलल डालते हैं। दूसरों की हंसी खुशी आपसे बर्दाश्त क्यों नही होती। क्यों आप अपने ही भाई बन्धुओं आम लोगो की तरह रहने नहीं देते। आज भी अमरीका जैसे देशों में कोई भी आतंकवादी घटना होती है तो वहां रहने वाले  निर्दोष मुस्लिम भी घरों में अपराधियों की भांति दुबक जाते हैं। जब भी कहीं भी किसी आतंकी हमले या साजिश में किसी मुसलमान का नाम आता है तो पूरी मुस्लिम कौम को अपराधत्व का बोझ महसूस होता है।

खोंट आप में नही आपकी मानसिकता में है। कमीं आप में नहीं आपकी सोंच में है। जरूरत हुलिया बदलने की नहीं बल्कि अपने विचारों को बदलने की है। जिस दिन मुसलमान इस मानसिकता से उपर उठ कर देखेंगे निश्चित ही समाज में एक नई बयार आएगी। मात्र कुछ फीसदी लोगों की वजह से सभी को जलील होना पड़ता है। भविष्य में मुसलमानों को कोई और संज्ञा न मिले इसलिए अभी भी वक्त है मुसलमान को मुसलमान ही रहने दीजिए। मेरा यह लेख भले ही कुछ लोगों को बनावटी या फिर निजी विचारों से ओत-प्रोत लग सकता है। लेकिन इसका मतलब ये नही कि इसमें दिए तथ्यों से दरकिनार किया जा सके।