Tuesday, February 3, 2015

वैलेंटाइन डे या प्रेम विवाह दिवस : प्यार के इजहार के बहाने अश्लीलता

फरवरी माह में प्रवेश करते ही मोबाइल, व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि पर तरह-तरह के वैलेंटाइन डे से संबधित मैसेज, पोस्टों का आगमन शुरु हो गया है। प्यार की पींगे पनपनी शुरु हो चुकी हैं। गली-बगीचे, मॉल्स-मुहल्ले गुलजार होने लगे हैँ।
प्रेमी युगलों के लिए प्रेम के त्योहार की तरह मनाए जाने वाले वैलेनटाइन डे के लिए प्रेमियों ने प्यार का इजहार करने के लिए भरकस तैयारियां करनी शुरु कर दी हैं। बाजार भी ग्रीटिंग कार्डों से पटने शुरु हो गए हैं। बगीचे, चिडय़ाघर , मॉल्स और होटल्स का हर एक कोना प्रेम का साक्षी बनने को तैयार  है। मालियों ने भी एक-एक फूल की कीमत को समझना शुरु कर दिया है। तैयारियों में अभी शबाब का रंग सही से चढ़ भी नहीं पाया था कि हिंदू महासभा के ऐलान से प्रेमी जोड़ों में सन्नाटा छा गया। हिंदू महासभा ने अगामी १४ फरवरी को वैलेंटाइन डे को प्रेम विवाह दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। अब देखना यह होगा कि हिंदू महासभा अपनी इस घोषणा को अंजाम देने के लिए किस हद तक जाती है।
बीते दिनों हिंदू महासभा के द्वारा अंजाम दिए गए सुपर-डुपर हिट घर वापसी और लव जिहाद जैसे कार्यक्रम बेहद चर्चित व विवादित रहे। देश भर में  घर वापसी जैसे मुद्दे पर विवाद अभी भी जारी है। गौरतलब है कि हिंदू महासभा के कुछ पदाधिकारियों ने इसे घर वापसी का सेकेंड पार्ट भी बता डाला है। पिछले दिनों नौबत यहां तक पहुंच गई थी कि  प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व हिंदू परिषद व हिंदू महासभा की इन हरकतों से आजिज आकर पद छोडऩे तक की धमकी दे दी थी। हालांकि महासभा की इस घोषणा में कुछ खास नया नहीं है। इसके पहले भी वैलेनटाइन डे पर हिंदू महासभा और विहिप का काला साया मंडराया रहता था। सरेआम अराजकता  फैलाने वाले इन तरह के संगठनों से प्रेमी युगल खौफजदा रहते थे। अराजकता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ सालों से भाई-बहन भी इस विशेष दिन एक साथ  घर से बाहर निकलने से डरने लगे थे।

लेकिन अगर वैलेनटाइन डे के दूसरे पहलू को उठा कर देखें तो इसके अधिकांश हिस्से में अश्लीलता की बू आती है। प्यार को हवस के तराजू में तौलने वाले इस विशेष दिन प्रेेम का द्योतक मानना कितना उचित होगा। हवस, सेक्स को प्रेम की संज्ञा देना कहां तक सही है। अगर इस तरह के मामलों में गहराई से नजर डालें तो सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम खाने वाले इन प्रेमी जोड़ों में से अधिकांश का प्रेम संबध  अगले सात महीनों तक भी नहीं टिकता। इन हालातों में पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित वैलेंटाइन डे को भारतीय समाज में मान्यता देना में  प्रेमी युगलों को सरेआम अश्लीलता का लाइसेंस देने जैसा है। एक ओर जहां तहजीब और अनूठी सभ्यता के लिए दुनिया भर में जानी-जाने वाली भारतीय संस्कृति के लोग दीवाने हैं, वहीं वैलेनटाइन डे जैसे पश्चिमी त्योहार भारतीय संस्कृति के लिए साक्षात् खतरे के समान हैं।
हालांकि बुराई वैलेनटाइन डे में नहीं बल्कि हमारे मनाने के तरीके में है। भारत में इस डे का मतलब सिर्फ बिनब्याहे प्रेमी युगलों के प्यार के इजहार का है। लेकिन कुछ संक्रमित सोंच वाले लेागों की वजह से इस त्योहार के मायने बदल गए है। जुबां पर वैलेनटाइन डे का नाम आते ही सेक्स और अश्लीलता का तड़का मालूम पड़ता है। जबकि बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह सिर्फ प्रेमी प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि किसी बेटे के लिए उसके माता-पिता भी   वैलेनटाइन हो सकते हैं। यह दिवस प्रेम दर्शाने के लिए होता है और प्रेम तो सबके लिए हो सकता है। चाहे वह माता-पिता हों या भाई-बहन या फिर दोस्त। सिर्फ देखने का नजरिया बदलने की जरूरत है। 

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