Tuesday, February 24, 2015

जासूसी कांड: गहरी हैं जड़ें

पेट्रोलियम मंत्रालय में जासूसी कांड  के खुलासे के बाद से ही सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया। हालांकि सरकारी मंंत्रालयों में जासूसी की यह पहली घटना नहीं है। देश के सौदागारों का यह गोरखधंधा पिछले कई सालों से चल रहा था। इस जासूसी कांड ने सन 1980 के दशक की यादों को फिर से ताजा कर दिया है, लेकिन इतने व्यापक स्तर पर सरकार की नाक के नीचे से दस्तावेजों की चोरी को अंजाम देना और किसी को भनक न लगना समझ से परे है। इसमें जरूर किसी साजिश की बू आती है। और तो और अब  कोयला और ऊर्जा मंत्रालय के संग जासूसी की चपेट में रक्षा मंत्रालय भी आ गया है।
हालांकि इस बार आरोपी कानून के हत्थे चढ़ गए हैं, लेकिन उनके पीछे बैठे उनके आकाओं तक पहुंचने में कानून के हाथ छोटे भी पड़ सकते हैं। पकड़े गए आरोपियों से देश के बड़े कॉर्पोरेट घरानों के संबंध भी साबित हो गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में से शीर्ष ऊर्जा कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत तकरीबन दर्जन भर गिरफ्तारियां हुई हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों में से आरआईएल के शैलेष सक्सेना, एस्सार के विनय कुमार, केयर्न से केके नाईक, जूबिलैंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा और एडीएजी रिलायंस के ऋषि आनंद व मंत्रालय के कर्मचारियों संग बिचौलिए भी शामिल हैं, जबकि जासूसी नेटवर्क की जड़ें और भी गहरी होने का अनुमान है। और तो और जासूसी के तार अब चीन और पाकिस्तान से भी जुडऩे के संकेत मिल रहे हैं।
जासूसी कांड की एक कड़ी अंबानी बंधुओं से भी जुड़ती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंबानी घराने के रिश्ते जगजाहिर हैं। ऐसे में सरकार की भूमिका अहम रहेगी। क्या कानून के दायरे में अंबानी को भी खड़ा किया जाएगा? या फिर सिर्फ पकड़े गए कंपनी के कर्मचारियों को बलि का बकरा बना कर मामले को दफन कर दिया जाएगा। इस जासूसी कांड से यह बात स्पष्ट रूप से उभर कर आती है कि कॉर्पोरेट घरानों ने अपने फायदे के लिए न सिर्फ राजनेताओं का इस्तेमाल किया बल्कि जासूसी का भी सहारा लिया।
हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सभी आरोपियों को कठोरतम सजा दी जाएगी व मामले की जांच भी की जाएगी जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अब देखना यह होगा कि सरकार आरोपियों को परदे के पीछे दफन करेगी या कॉर्पोरेट हाउसों को जनता के सामने लाकर बेनकाब करेगी।

No comments:

Post a Comment